लखनऊ प्रेस विज्ञप्ति– इंसान की फितरत इंसान पर जुनून उस पर हावी होता है तो वह मिसाल बनकर एक
अनुकरणीय उदाहरण बनकर समाज के सामने आता है। ऐसा ही समाजसेवी एवं लेखक प्रदीप कुमार
सिंह का जज्बा। वह पिछले तमाम सालों से लोगों को पुस्तकें बांटकर जहां ज्ञान तथा सद्भावना का प्रसार
का रहे हैं, वहीं दूसरी ओर देशवासियों के लिए एक मिसाल प्रस्तुत कर रहे हैं। पिछले वर्ष 2017 में
प्रधानमंत्री द्वारा देशवासियों से की गयी अपील कि लोग गुलदस्ते की जगह शुभकामना देते
समय पुस्तक भेंट किया करें, आपने प्रधानमंत्री की इस अपील को भी आत्मसात किया है और वह उनकी
कार्यशैली में दिखाई पड़ता है। वह पांच साल के बच्चे से लेकर 90 वर्ष के बुजुर्ग सभी को बड़े ही
सम्मानपूर्वक भेंट करते हैं।
प्रसिद्ध लेखकों की पुस्तकें जिसमें तेजज्ञान फाउण्डेशन, पुणे के संस्थापक सरश्री, प्रसिद्ध
शिक्षाविद् और विश्व शान्ति के लिए अथक प्रयास करने वाले डा. जगदीश गांधी की लिखी ज्ञानवर्धक
पुस्तकों के साथ-साथ तमाम प्रसिद्ध लेखकों की पुस्तकों को सप्रेम भेंट कर चुके हैं। इस कड़ी में वह
प्रसिद्ध राजनीतिक, सामाजिक कार्यकर्ताओं, प्रोफेसरों, डाक्टरों, कुलपतियों सहित समाज के हर तबके को
लगभग पुस्तक भेंट कर चुके हैं।
उनकी इस अनवरत चलती श्रृंखला के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ से लेकर भारत सरकार के गृह मंत्री माननीय राजनाथ सिंह को वह पुस्तक प्रदान कर
पुस्तकों के प्रति अपना समर्पण एवं प्रधानमंत्री के द्वारा की गयी अपील की सार्थकता को सिद्ध कर चुके
हैं।
प्रदीप कुमार सिंह अनगिनत लोगों को कभी समूह में, कभी समारोहों में, कभी घर पर तो कभी
सड़क पर जो भी मिला जब भी मिला उसको सम्मानपूर्वक पुस्तक प्रदान की है।
जब प्रदीप कुमार सिंह से हमने जानना चाहा कि वह पुस्तक ही क्यों उपहार में देते हैं? और कुछ क्यों नहीं देते? तो वह बहुत सहज
ढंग से कहते हैं कि गीता में कहा गया है कि ‘‘ज्ञानार्थ ऋते न मुक्ति’’ अर्थात ज्ञान के बिना मुक्ति संभव
नहीं है। पुस्तकों में यह ज्ञान सर्वत्र सहजता से उपलब्ध हो जाता है। ज्ञान का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत पुस्तकें
हैं। प्रत्येक मनुष्य अपनी क्षमता के अनुसार अध्ययन करके अपने ज्ञान क्षितिज का विस्तार कर सकता
है। इसलिए पुस्तक उपहार में देने के लिए सर्वश्रेष्ठ और कीमती वस्तु है।
वह यह भी कहते हैं कि किताबें इंसान की जिन्दगी में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। यह इंसान की सबसे अच्छा दोस्त होती हैं। मुंह से बोली गयी बात तो कुछ पल अपना बजूद रखती हैं लेकिन लिखी गयी बात सदैव के लिए अपना बजूद बना लेती हैं। जो ज्ञान हमें अलग-अलग जाकर हासिल होता है वह ज्ञान हमें किसी के अनुभव से लिखी किताब से हासिल हो जाता है। इसलिए भी पुस्तक उपहार के लिए सर्वश्रेष्ठ है। वह कहते हैं कि आज बुद्ध के, महात्मा गांधी, मदर टेरेसा, लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर, अब्राहम लिंकन आदि महापुरूषों के सिद्धान्तों को पुस्तक के माध्यम से ही जाना जा सकता है। किताबें बहुत बड़ासार है। किताबें हमारी सबसे बड़ी मित्र हैं। ये हमारा सही मार्गदर्शन करती हैं। यह हमारी एकान्त की सहचारी हैं। हमें धैर्य एवं साहस प्रदान करती हैं। अंधकार में मार्गदर्शन प्रदान करती हैं। प्रदीप कुमार सिंह ने अब तक हजारों की संख्या में किताबें अपने खर्चें पर बांटी हैं। वह किताबों की
महत्ता को प्रचारित और लोगों को जागरूक करने के लिए मीडिया का भी भरपूर सहयोग लेते हैं। आप लोगों को पुस्तक प्रदान करने वालों फोटो को भी बहुत सहेज कर रखते हैं। वह इन फोटो के एक संग्रह कोप्रधानमंत्री को भी भेज चुके हैं। और उनकी दिली तमन्ना है कि जिस लोकप्रिय एवं सम्मानीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की प्रेरणा से देश में ‘बुके की स्थान पर बुक’ उपहार में देने का अभियान चल
पड़ा है। तब से वह प्रधानमंत्री से एक बार व्यक्तिगत रूप से मिलकर आशीर्वाद लेने की दिली उम्मीद रखते हैं। प्रदीप कुमार सिंह बुक उपहार स्वरूप देने के इस अभियान को अपने जीवन की अंतिम सांस तक चलाने के लिए संकल्पित हैं।